(Casino Game) - Casino Game Goa So many games, the online casino has it all, Simple Casino Games your chance to hit the jackpot, our online casino. Ashadha Month 2023 : आषाढ़ मास का नाम पूर्वाषाढ़ा और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र ऊपर रखा गया है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ माह वर्ष का चौथा माह है। 5 जून 2023 से आषाढ़ माह का प्रारंभ हो गया है जो 3 जुलाई तक रहेगा। इस माह में श्रीहरि विष्णु, माता काली, शिवजी और सूर्यदेव की विशेष आराधना की जाती है। आओ जानते हैं इस माह की 10 विशेषता और जानिए कि क्या करें और क्या न करें। आषाढ़ माह की 10 विशेषताएं: 1. किसानों का माह : कृषि के लिए ये मास बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसी माह से वर्षा ऋतु की विधिवत शुरुआत होती है। 2. स्वच्छ जल ही पिएं : पौराणिक मान्यता के अनुसार इस माह में जल में जंतुओं की उत्पत्ति बढ़ जाती है अत: इस माह में जल की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। 3. सेहत का रखें ध्यान : आषाढ़ माह में पाचन क्रिया भी मंद पड़ जाती है अत: इस मास में सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस महीने में जल युक्त फल खाने चाहिए। आषाढ़ में बेल बिलकुल भी न खाएं। 4. विष्णु उपासना और दान : आषाढ़ मास में भगवान विष्णु की पूजा करने से पुण्य प्राप्त होता है। आषाढ़ मास के पहले दिन खड़ाऊं, छाता, नमक तथा आंवले का दान किसी ब्राह्मण को किया जाता है। 5. सो जाते हैं देव : इसी माह में देव सो जाते हैं। इसी माह में देवशयनी या हरिशयनी एकादशी होती है। इसी दिन से सभी तरह के मांगलिक और शुभ कार्य बंद हो जाते हैं। 6. चतुर्मास का माह : आषाढ़ माह से ही चतुर्मास प्रारंभ हो जाता है। चातुर्मास 4 महीने की अवधि है, जो आषाढ़ शुक्ल एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलता है। इस अवधि में यात्राएं रोककर संत समाज एक ही स्थान पर रहकर व्रत, ध्यान और तप करते हैं। 7. कामनापूर्ति का माह : इस महीने को कामना पूर्ति का महीना भी कहा जाता है। आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का महान उत्सव भी मनाया जाता है।वर्ष के इसी मास में अधिकांश यज्ञ करने का प्रावधान शास्त्रों में बताया गया है। 8. गुप्त नवरात्रि का माह : वर्ष में चार नवरात्रि आती है:- माघ, चैत्र, आषाढ और अश्विन। चैत्र माह की नवरात्रि को बड़ी या बसंत नवरात्रि और अश्विन माह की नवरात्रि को छोटी या शारदीय नवरात्रि कहते हैं। दोनों के बीच 6 माह की दूरी है। बाकी बची दो आषाढ़ और माघ माह की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं। आषाढ़ माह में तंत्र और शक्ति उपासना के लिए 'गुप्त नवरात्रि' होती है। 9. मंगल और सूर्य की पूजा : इस माह में विष्णुजी के साथ ही जल देव की उपासना से धन की प्राप्ति सरल हो जाती है और मंगल एवं सूर्य की उपासना से ऊर्जा का स्तर बना रहता है। इसके अलावा देवी की उपासना भी शुभ फल देती है। 10. गुरु पूर्णिमा का महत्व : आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को बहुत ही खास माना जाता है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को ही गुरु पूर्णिमा, व्यास पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। Daan आषाढ़ माह में क्या करें और क्या नहीं करें:- आषाढ़ माह में क्या नहीं खाना चाहिए?
फाइल फोटो: जिंदा आदमी तो शराब पीता है, लेकिन क्या कभी आपने सुना है कि मुर्दे भी शराब पीते हैं। बिहार में कब्रगाहों में शराब की पाउच का जो जखीरा मिला है, उससे तो यही लगता है कि मुर्दे भी पियक्कड़ हो गए हैं। Casino Game Goa, मधुमालती तो आप जानते ही होंगे... सफेद, गहरे लाल, गुलाबी और पीच कलर के रंगबिरंगे गुच्छों में लटकते फूलों ने आपका मन भी मोहा होगा। क्या आप जानते हैं कि मधुमालती के फूल रंग बदलते हैं। शुरूआती दिन में ये फूल सफ़ेद रंग के खिलते हैं। दूसरे दिन वही फूल गुलाबी रंग में बदल जाते हैं और तीसरे दिन गाढ़े लाल रंग में। वास्तव में फूलों का यह रंग बदलना विभिन्न प्रकार के कीटों को अपनी ओर आकर्षित करने की ज्यादा से ज्यादा परागण (Pollination) के लिए इस बेल की या कहें कि प्रकृति की चतुराई होती है। अंग्रेजी में इसे रंगून क्रीपर (Rangoon creeper) या चायनीज हनीसकल (Chinese honeysuckle) भी कहते है। बंगाली में इसे मधुमंजरी, तेलुगु में राधामनोहरम, आसामी में मालती, झुमका बेल कहा जाता है। मधुमालती का बोटैनिकल नाम Combretum Indicum है। मधुमालती की लता 2.5 से 8 मीटर ऊंचाई तक फैलती जाती है। फूल देखने में आकर्षक और मनमोहक होते हैं। मनभावन सुगंध से घर-आंगन भी महकाते हैं। मधुमालती की लता आसानी से लग जाती है और इसे खास देखभाल की जरुरत भी नहीं होती। गर्मियों में यह सघन छांव देते हैं और घर को तपती धूप से भी बचाते हैं। इसमें सफ़ेद रंग के छोटे फल भी लगते हैं जो बाद में भूरे रंग के हो जाते हैं। इसके पत्ते 4-5 इंच बड़े होते हैं। मधुमालती के फूल, पत्ती, फल, जड़ से रोगों के उपचार होते हैं। मधुमालती बेल कैसी भी मिटटी में लगाना संभव है। बस मिट्टी में थोड़ी नमी हो लेकिन पानी रुकना नहीं चाहिए। इसकी कलम लगाना आसान है। 3-4 इंच लंबी कलम लें, जिसमें 2-3 पत्तियां हों। इस कलम का 1 इंच हिस्सा मिट्टी में दबा दें। इसे थोड़ी छाया वाली जगह रखें या फिर इसके ऊपर कुछ कवर लगा दें। दिन में दो बार थोड़ा पानी देते रहें। महंगी खाद की कतई जरूरत नहीं है। कोई भी आर्गेनिक खाद जैसे गोबर या सूखे पत्तियों की बनी खाद इसके लिए परफेक्ट है। मधुमालती के फायदे/ मालती के फूल के फायदे/ मधुमालती के औषधीय गुण मधुमालती के पेड़ के हर भाग का आयुर्वेद में उपयोग होता है। सर्दी-जुकाम हो तो मधुमालती के फूल, पत्ते का काढ़ा बनाएं। दिन में 2-3 बार पीने से लाभ होगा। डायबिटीज की समस्या में मधुमालती के 5-6 पत्तों या फूल का रस निकालकर 4 मिली. रस दो समय पिएं। ल्यूकोरिया के इलाज के लिए मधुमालती की पत्ती और फूल का रस पीना चाहिए। इसकी पत्तियों को उबाल कर पीने से बुखार के दर्द में आराम मिलता है। पेट अगर फूला हुआ लगे तो इसकी पत्ती उबालकर पीने से राहत मिलती है। मधुमालती के फलों का काढ़ा दांत दर्द भी ठीक करता है। इसकी पत्तियों और फल से किडनी की सूजन और जलन का उपचार किया जाता है। मधुमालती की जड़ों का काढ़ा पेट के कीड़े निकालने में फायदा करता है। इस काढ़े से गठिया रोग में भी आराम मिलता है। मधुमालती के वास्तु चमत्कार घर में अगर मधुमालती की बेल है तो अधिकांश सदस्य निरोगी ही रहेंगे। मधुमालती जिस तरह आंखों को सुंदर लगती है हमारे जीवन में भी यह बेल बहार लेकर आती है। मधुमालती अगर घर की बगिया में है तो नकारात्मकता बाहर ही रह जाती है घर के भीतर प्रवेश नहीं कर पाती है। मधुमालती की बेल अगर घर के ऊपर छा रही है तो यह बुरी ताकतों से बचाव करती है। जैसे जैसे घर पर मधुमालती बेल ऊपर की तरफ चढ़ती है या फैलती है घर के लोगों की तरक्की भी वैसे ही होती है। मधुमालती की बेल घर में धन, सेहत, खुशियां, सौभाग्य, सुंदरता, समृद्धि, संपन्नता और सकारात्मकता के आगमन का प्रतीक है। घर में यह बेल उत्तर दिशा या पूर्व दिशा में विशेष फलदायी है। मधुमालती बेल रिश्तों में मधुरता लाती है, घर के सदस्यों का आपसी सम्मान बना रहता है। इसे ऐसे समझे कि इसके फूल एक साथ ही खिलते पनपते हैं तो ऐसे ही प्रतीकात्मक रूप से यह परिवार को भी भरापूरा रहने का वरदान देती है।गुच्छों की तरह ही परिवार में एकता बनी रहती है। रैंगून क्रीपर फ्लावर यानी मधुमालती न सिर्फ घर आंगन में बल्कि जहां तक इसकी सुगंध जाती है वहां तक वातावरण में शुद्धता और शुभता लाती है।
वहीं विकेटकीपर की बात करें तो बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी में 4 मैच खेलकर 101 रन बना चुके केएस भरत को ईशान किशन पर तरजीह दी गई है। ईशान किशन को अपने टेस्ट पदार्पण के लिए कुछ और इंतजार करना पड़ेगा। Casino Game Get your Game on at the Online Casino your chance to hit the jackpot, our online casino I love and miss you so much Dad. Happy birthday! Love you, Dad pic.twitter.com/KWPQuQjaJ7— Sanjay Dutt (@duttsanjay) June 6, 2023
यात्रा के लिए तीन रथों के निर्माण के लिए काष्ठ का चयन बसंत पंचमी पर होता है और निर्माण कार्य वैशाख माह में अक्षया तृतीया पर प्रारंभ होता है, यानी दो माह पूर्व। रथों का निर्माण नीम की पवित्र अखंडित लकड़ी से होता है, जिसे दारु कहते हैं। रथों के निर्माण में किसी भी प्रकार के कील, कांटों और धातु का उपयोग नहीं करते हैं। रथ यात्रा में तीन रथ होती हैं। बलरामजी के रथ को 'तालध्वज' कहते हैं, जिसका रंग लाल और हरा होता है। देवी सुभद्रा के रथ को 'दर्पदलन' या पद्म रथ कहा जाता है, जो काले या नीले और लाल रंग का होता है, जबकि भगवान जगन्नाथ के रथ को 'नंदीघोष' या 'गरुड़ध्वज' कहते हैं। इसका रंग लाल और पीला होता है। रथयात्रा में सबसे आगे बलरामजी का रथ, उसके बाद बीच में देवी सुभद्रा का रथ और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ श्रीकृष्ण का रथ होता है। इसे उनके रंग और ऊंचाई से पहचाना जाता है। नंदीघोष रथ 45.6 फीट ऊंचा, तालध्वज रथ 45 फीट ऊंचा और दर्पदलन रथ 44.6 फीट ऊंचा होता है। online casino games legal in india, nawazuddin siddiqui's wife aaliya: बॉलीवुड एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी बीते काफी समय से अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर सुर्खियों में हैं। नवाज और उनकी पत्नी आलिया के बीच काफी विवाद चल रहा था। दोनों ने एक-दूसरे पर कई गंभीर आरोप भी लगाए थे। हालांकि अब नवाजुद्दीन और आलिया के बीच समझौता हो गया है और दोनों तलाक भी लेने जा रहे हैं। आलिया अपने बच्चों के साथ दुबाई चली गई हैं। वहीं अब आलिया को नया हमसफर भी मिल गया है। आलिया ने इंस्टाग्राम पर अपने नए पार्टनर के साथ तस्वीर शेयर करके लोगों को खुद ये जानकारी दी है। इस तस्वीर में आलिया अपने नए प्यार के साथ बैठे चाय पीती नजर आ रही हैं। इसके साथ आलिया ने कैप्शन में लिखा, मैंने जिस रिश्ते को संजोया है, उससे बाहर निकलने में 19 साल से ज्यादा का समय लगा है। लेकिन मेरे जीवन में, मेरे बच्चे मेरी प्राथमिकता हैं, वे हमेशा थे और रहेंगे। लेकिन कुछ रिश्ते ऐसे भी होते हैं जो दोस्ती से भी बड़े होते हैं और ये रिश्ता वही रिश्ता है और मैं उसी से बहुत खुश हूं। इसलिए अपनी खुशी आप सबके साथ बांटी। क्या मुझे खुश रहने का अधिकार नहीं है? आलिया ने ईटाइम्स से बात करते हुए कहा, मैं आगे बढ़ चुकी हूं और मेरा यह रिश्ता दोस्ती से बढ़कर है। ऐसा नहीं है कि हमारे बीच कोई कमिटमेंट नहीं है। मेरी अपनी जिंदगी है, जिसे मुझे अपने बच्चों के साथ जीना है और मैं अपने बच्चों को कोई दिक्कत नहीं देना चाहती। आलिया ने अपने नए प्यार की तारीफ करते हुए कहा, वह एक सच्चे जेंटलमैन हैं। पैसा आपको खुश नहीं करता है, बल्कि इंसान करता है। वह बहुत ही अच्छे इंसान हैं। वह इटली से हैं और हम दुबई में मिले थे। वह मेरी बहुत इज्जत करते हैं और मेरा बहुत ख्याल रखते हैं। हम लंबे समय से दोस्त थे लेकिन मुझे उन्हें जानने में थोड़ा ज्यादा समय लग गया।
Be a winner 24/7 – our online casino! Casino Game भूपेंद्र सिंह और गोविंद सिंह राजपूत में टकराव क्यों?-सुरखी विधानसभा सीट पर वर्तमान में सिंधिया समर्थक एवं शिवराज सरकार में परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का कब्जा है। सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल होने से पहले गोविंद सिंह राजपूत और भूपेंद्र सिंह चुनावी मैदान में आमने-सामने आ चुके है। भाजपा के बागी नेता राजकुमार धनौरा गोविंद सिंह राजपूत को खिलाफ चुनावी ताल ठोंक रह है। राजकुमार धनोरा मंत्री भूपेंद्र सिंह के रिश्तेदार है औऱ पिछले साल उन्होंने मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के खिलाफ बयानबाजी करने पर भाजापा से 6 साल के लिए बाहर का रास्ता दिखाया गया था। नोटिस में कहा गया है कि इससे कानून और व्यवस्था के मुद्दों की संभावना बनती है। इस पर विचार करते हुए, एक निष्कर्ष प्राप्त होने तक, दोनों वर्गों के लोगों को मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं है।
मेरी प्यारी माँ! जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ।प्रभु आपको लंबी और स्वस्थ आयु प्रदान करें।आप हमारे लिए क्या हो, इस भावना का शब्दों में वर्णन बहुत कठिन है। जिसका प्यार मरते दम तक नहीं बदलता,वो माँ होती है।जब कभी भी रुलाती है दुनिया, तो हंसाती है माँ। ख़ुशियों की तिजोरी कि… pic.twitter.com/QmsuPkZSLo— Anupam Kher (@AnupamPKher) June 5, 2023 Simple Casino Games, Apple iOS 17 Update: एपल ने iOS 17 की विशेषताएं प्रकट की हैं। एपल के इस नए ऑपरेटिंग सिस्टम में कॉलिंग, फेसटाइम और मैसेजिंग के लिए एक नया अनुभव मिल सकेगा और इसके साथ ही आईफोन ऐप्स को भी महत्वपूर्ण अपग्रेड मिला है। नए कॉन्टेक्ट पोस्टर फीचर के साथ उपयोगकर्ता अब यूजर प्रोफाइल चित्र, कलर्ड और कस्टमाइजेबल तत्वों का उपयोग भी कर सकेंगे। एपल का यह फीचर कॉन्टेक्ट कार्ड पर भी उपलब्ध होगा। इस नए ओएस अपडेट के साथ आईफोन उपयोगकर्ताओं को पूरी तरह से नया अनुभव मिल सकेगा। फोन के लॉकस्क्रीन और वॉलपेपर को और बेहतर ढंग से एडजस्ट किया जा सकेगा। आइए जानें कि नए ऑपरेटिंग सिस्टम अपडेट के साथ एपल ने क्या-क्या नया लाया है? यह बताया जाना जरूरी है कि नए अपडेट में फेसटाइम के सतह रिकॉर्ड किए गए मैसेज शेयर किए जा सकेंगे। इसके साथ आप अपनी क्लिप रिकॉर्ड कर सकेंगे और कॉल के लिए उपलब्ध नहीं होने पर इसे दूसरों को भेज सकेंगे। एपल पिछले साल तस्वीरों से सब्जेक्ट चुनने वाला फीचर लेकर आया था। अब नए अपडेट में यूजर iMessages पर तस्वीरों के जरिए स्टिकर भी बना सकेंगे। Apple द्वारा नए जर्नल ऐप की अनाउंसमेंट भी की गई है। ये सजेशन देने के लिए ऑन-डिवाइस ML को यूज करता है। इसमें सजेशन के लिए वो लोकेशन भी शामिल होंगी, जहां आप जा चुके हैं या जो गाना आपने सुना था या जिन तस्वीरों को आपने क्लिक किया था। नए OS अपडेट में 'सिरी' को भी अपग्रेड किया गया है। इसे इंस्टॉल करने के बाद यूजर्स को सिरी को कमांड देने के लिए 'हे सिरी' नहीं बोलना पड़ेगा। आप इसे सिर्फ 'सिरी' कहकर कमांड दे सकेंगे। इसके अलावा अगली कमांड के लिए बिना 'सिरी' बोले भी काम हो जाएगा। Edited by: Ravindra Gupta
नई दिल्ली। कांग्रेस ने मंगलवार को आरोप लगाया कि बालासोर रेल हादसे की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की सरकार की घोषणा सिर्फ हेडलाइन मैनेजमेंट है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने वर्ष 2016 में कानपुर के निकट हुए एक रेल हादसे का उल्लेख करते हुए कहा कि उस मामले में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) से जांच कराए जाने की घोषणा की गई थी, लेकिन आज तक पता नहीं चल पाया कि उस जांच का नतीजा क्या निकला? उन्होंने दावा किया कि बालासोर रेल हादसे के मामले में रेलवे सुरक्षा आयुक्त की ओर से रिपोर्ट सौंपे जाने से पहले ही सीबीआई जांच का ऐलान कर दिया गया। रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार की शाम घोषणा की थी कि बालासोर रेल हादसे की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की गई है। रमेश ने ट्वीट किया कि रेलवे सुरक्षा आयुक्त द्वारा बालासोर रेल हादसे के बारे में अपनी रिपोर्ट सौंपे जाने से पहले ही सीबीआई जांच की घोषणा कर दी गई। यह कुछ और नहीं, बल्कि हेडलाइन मैनेजमेंट है। उन्होंने कहा कि अब यह घटनाक्रम याद कीजिए। 20 नवंबर, 2016 को इंदौर-पटना एक्सप्रेस कानपुर के निकट पटरी से उतर गई। इसमें 150 से अधिक लोगों की जान चली गई। तत्कालीन रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने 23 जनवरी 2017 को केंद्रीय मंत्री को पत्र लिखकर इस घटना की एनआईए जांच की मांग की। 24 फरवरी 2017 को प्रधानमंत्री ने कहा कि कानपुर ट्रेन दुर्घटना एक साजिश थी। रमेश ने दावा किया कि 21 अक्टूबर 2018 को अखबारों में प्रकाशित खबरों में कहा गया कि एनआईए इस मामले में कोई आरोप पत्र दाखिल नहीं करेगी। 6 जून, 2023 तक इस बात की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है कि कानपुर रेल हादसे पर एनआईए की अंतिम रिपोर्ट क्या है? कोई जवाबदेही नहीं। एक दिन पहले सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बालासोर रेल हादसे के वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए इस मामले के सभी पहलुओं की जांच की मांग करते हुए प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा था। पत्र में उन्होंने कहा था कि सीबीआई की जांच से तकनीकी, संस्थागत और राजनीतिक विफलताओं की जवाबदेही तय नहीं हो सकती। उन्होंने पत्र में यह भी कहा कि सीबीआई रेल दुर्घटनाओं की जांच के लिए नहीं है, वह अपराधों की छानबीन करती है। पूर्व रेलमंत्री खरगे ने आरोप लगाया था कि सरकार जवाबदेही तय करने के किसी भी प्रयास को नाकाम करने और लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है। उल्लेखनीय है कि ओडिशा के बालासोर में कोरोमंडल एक्सप्रेस शुक्रवार शाम करीब 7 बजे लूप लाइन पर खड़ी एक मालगाड़ी से टकरा गई जिससे कोरोमंडल एक्सप्रेस के अधिकतर डिब्बे पटरी से उतर गए। उसी समय वहां से गुजर रही तेज रफ्तार बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे कोरोमंडल एक्सप्रेस से टकरा कर पटरी से उतर गए। इस हादसे में कम से कम 275 लोगों की जान चली गई। इस मामले की सीबीआई जांच की घोषणा की गई है।(भाषा) Edited by: Ravindra Gupta Casino Night Fundraiser Games सैचुरेशन की स्थिति का मतलब है कि बाघों के कुछ आवास या संरक्षित क्षेत्र चरम क्षमता तक पहुंच गए हैं। यानी इन जगहों पर फिलहाल जितने बाघ हैं, उतने ही यहां रह सकते हैं। ग्लोबल टाइगर फोरम के मुताबिक भारत में अब अतिरिक्त 1,000 से लेकर 1200 बाघों तक को ही रखा जा सकता है। अब यहां 10 हजार बाघों को नहीं रखा जा सकता, ऐसा करीब एक सदी पहले होता था। हालांकि उन क्षेत्रों में अतिरिक्त बाघों को रखा जा सकता है, जहां अब बाघ नहीं हैं।